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Akhtar Ali Shah

Inspirational

4  

Akhtar Ali Shah

Inspirational

पुस्तकें

पुस्तकें

4 mins
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पुस्तकों में पाओगे संवेदना ।

पुस्तकों में पाओगे तुम वेदना।।

ये कहो किसको कहां इनकार है।

पुस्तकों में प्यार का भंडार है ।।

पुस्तकों में ईश के आदेश है ।

मानने लायक सभी संदेश है।।

पुस्तकों में हक का फैला नूर है।

और मानवता भरी भरपूर है ।।

पुस्तकों में हैं खजाने ज्ञान के।

पर्दे हट जाते हैं सब अज्ञान के।।

रामायण तो राम का दरबार है ।

महाभारत में नहीं क्या यार है ।। 


पुस्तकें हैं आसमानी चार गर ।

वेद भी तो चार ही हैं ऐ बशर ।।

हैं पुराणों की बड़ी एक श्रंखला।

गीता जैसा ग्रंथ देखा है भला ।। 

पुस्तकों में त्याग है बलिदान है ।

राष्ट्रभक्ति का भरा सामान है ।।

हैं यहाँ किरदार लासानी अमर।

रहबरी में रत सभी हैं राहबर ।।

पुस्तकों में भक्ति है भगवान की ।

और मिलती है सुरक्षा जान की ।।

हैं इबादत के तरीके बेशुमार ।

और तौबा के तरीके हैं हजार ।।

पुस्तकों में ज्ञान है विज्ञान का।

चाँद तारों का धरा की शान का।।

पर्दे ये ब्रह्माण्ड़ के हैं खोलती ।

मौन होकर भी जुबां से बोलती।।

पुस्तकों में सत्य की जलधार है ।

हक परस्ती का यहां दीदार है ।।


न्याय की राहें बताते संविधान।

है नहीं अन्याय का कोई विधान।।

पुस्तकें बक्षिश के खोले द्वार भी ।

जिंदगी जीने के दें आधार भी ।।

हानि का तो ये नहीं व्यापार है ।

सिर्फ लाभों का ये कारोबार है ।।   

पुस्तकों में शील है सद्भाव है ।

हर चपलता का यहां ठहराव है।।

है यहां सागर की गहराई अतल।

जो उतरता है निकलता बन सरल।। 

पुस्तकों में राग है अनुराग है ।

पुस्तकों में हर तरह का त्याग है ।।


सभ्यता की देह की ये आवरण।

शुद्ध करती पुस्तकें वातावरण ।।

पुस्तकें थाती है इस संसार की ।

रहबरी करती ये दुनियादार की।। 

खोलती ये चेतना के द्वारा सब।

झनझनाती वेदना के तार सब ।।

पुस्तकें दिनमान की शक्ति प्रबल।

रोशनी लेकर हुए अनगिन सफल।।

हैं वचन इनमें बड़े ही काम के।

काम आते हैं सभी आवाम के।।

पुस्तकों का पढ़ना तो आसान है ।

पर समझने में छिपा कल्याण है।।


जो न समझा घर का है न घाट का। 

वो कहा जाता है उल्लू काठ का ।।

पुस्तकें गागर में सागर के समान।

रज धरा की पढ़ हुई है आसमान।। 

मंजिलों का सुख उन्हीं के पास है ।

पुस्तकों का जो सखा है खास है ।।

पुस्तकें जो घोट के पी जाते हैं ।

मील के पत्थर बनें इठलाते हैं ।।

पर न समझे अर्थ तो बेकार हैं ।

वो मेरे नज़दीक भू पर भार हैं ।।

पुस्तकों को सर पे लादे घूमना।

और उनको बेतहाशा चूमना ।।


बुद्धिमत्ता का नहीं होता सबूत ।

हो नहीं सकते कभी वे देवदूत ।।

पुस्तकें अंधों की लाठी भी बनी ।

सतरंगी बन के धनुष नभ में तनी।। 

नूर पाकर हक से हो जाती सबल ।

तम को देती रोशनी में ये बदल ।।

पुस्तकों से तम तो कोसों दूर है ।

नूर ही चमकेगा ये दस्तूर है।। 

सींग जो कटवा बछड़ों में मिले।

मनसूबों के ढ़ह गए उनके किले ।। 

पुस्तकें समझे हैं जो इंसां बने ।

हैं नज़ारे ये जहाँ के सामने ।।

पुस्तकें पढ़ पढ़ के भी हैवान हैं ।

इस जहाँ में अनगिनत शैतान हैं।। 


पुस्तकों में है भलाई की डगर ।

आदमी को चलना है उसपर मगर।।

देखकर अनदेखी करते डर नहीं । 

हर कदम पे क्या यही मंजर नहीं ।।

पुस्तकों में धैर्य का आगोश है ।

पुस्तकों में देखिये संतोष है ।।

पुस्तकों में हौसलों के द्वार हैं ।

सहानुभूति के विपुल भंडार हैं ।।

पुस्तकें कुछ हैं जो बस दीदार से ।

कर रही महफूज हमको वार से ।।

सुख मिलेगा ढूंढ लो उनको अगर ।

चलती फिरती पुस्तकें जो मौतबर ।।

पुस्तकें विद्या की दाता है जनाब ।

नम्रता के कर रही साकार ख्वाब ।।

दक्षता इनसे चली घर आएगी ।

धन मिलेगा यश ध्वजा लहराएगी ।।

पुस्तकें इंसानियत के द्वार तक ।

कामयाबी के सुखी संसार तक ।।

ले के जाती है बने इंसान हम ।

गर नहीं बन पाए, पाएंगे सितम ।।

पुस्तकों का आज ये भी दर्द है ।

कौन उनका जो यहाँ हम दर्द है ।।

दर्द उनका देखिएगा आप एक ।

अर्थ में भी अर्थ होते हैं अनेक ।।


पुस्तकों में सार है संसार का।

ये पता देती है खेवनहार का ।। 

हर तरह के दर्द का उपचार है।

पुस्तकों को नमन बारंबार है ।।

पुस्तकों की हर सदी हैं कर्ज़दार ।

होअदा सकता नही इनका उधार।।

आया देखो अब नया ये दौर है ।

हर तरफ ई बुक्स का ही जोर है ।।

पुस्तकों में क्या नहीं है दोस्तों ।

ज्ञान की गंगा बही है दोस्तों ।।

पंख पाकर के उड़ानो का शऊर। 

कम करेगा दूरियाँ रब से जरूर ।।

पुस्तकें खोलें कहाँ है वक्त अब ।

हो गए हैं नेट में मसरूफ सब ।।

अब कहाँ "अनन्त"पुस्तक प्यार है।

इस सदी का बस यही उपहार है ।।



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