पुरुषार्थ की ताकत
पुरुषार्थ की ताकत
सपने हजारों सजा कर हम,
छूने को आसमान उड़ने लगे,
संकल्प का दीपक जला कर,
लक्ष्य पर नजर साधने लगे।
हिम्मत, हौसले से जब स्वप्न सजे,
मुश्किल, बाधाएं सब दूर टले,
मन में मंज़िल पाने की व्याकुलता,
दुर्गम मार्ग भी सहज सुगम बने।
अटूट विश्वास से जो स्वप्न को सींचे,
ऊँची उड़ान नभ की वो पाए,
परिश्रम की ताकत से वो ही,
सफलता हर काम में वो पाए।
तिमिर से न विचलित होना,
बदरा का हो चाहे घनघोर अंधेरा,
राह के कण्टक को कुचल देना,
अंतस के विश्वास से चाँद को छूना।
चाँद सूरज को छूना है तो ,
अर्जित पुरूषार्थ की ताकत को करना,
चीर कर पर्वत का सीना,
अम्बर पर चाँद सूरज सा चमकना।