पतझड़
पतझड़
पत्तों का गिरना
फूलों का झड़ना
टूट-टूट कर
बिखर जाना
पतझड़
मिटकर
फिर से नया बन जाना
राख से आबाद होना
पतझड़ ही है
पुरानी यादें
बातें और लम्हे
कब टूटेगा मन की
शाख से
वो टूटे तो कुछ
नया खिले
वो बिखरे तो
तो नया जमे
सूखी तपती धरती
जैसा मन
बादल देखते ही
यादें महकने
लगती है
बहुत दिनों से हूँ
मैं पतझड़ के
इंतजार में
पतझड़ के
इंतजार में।