परवाना
परवाना
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मैं तो एक परवाना हूँ,
मैं तो एक दीवाना हूँ,
कहते हो तुम पागल मुझे,
मैं इश्क़ एक पुराना हूँ।
जब जब रोती अखियां तेरी,
सागर मैं बन जाता हूँ,
इन सागर से खोज खोज,
खुशियो का मोती लाता हूँ।
वसुधा पर जब जब संकट देखा,
ये परवाना फिर बनता दीवाना,
कर न्योछावर खुद को धरा पर,
धरा के अंक पर सोया दीवाना।
एक परवाना मैं शमा का,
शमा सी इस एक ज्योति सा,
कैसी तू जलेगी अकेले,
संग संग जले फिर ये दीवाना।।