प्रतिध्वनित शान्ति
प्रतिध्वनित शान्ति
हवा और बारिश की लगाम ढीली कर दी उसने,
ताकि हो जाए खत्म अस्तित्व,
घृणा, ईर्ष्या और भेदभाव के काले बादलों का।
धुल जाएं दर्द और दुःख सपनों की बूंदों से।
जो बदल रही हों हकीकत में।
सत्यता की आत्मा में उकेरी हुई शांति,
और झूठ के शब्दों के शोर के बीच
खींची हुई रेखाओं के पास के पत्थरों पर और पत्थर रख,
ऊंची दीवार बना के,
झूठ के शब्दों को चुनवा लें उसमें,
उसकी श्वास की आवाज़ भी न आए कभी।
और,
सत्य की आत्मा की शांति को महसूस करें गहराई से।
शांत सत्य को जोड़ती हुई आत्मा से,
आओ फिर प्रार्थना करें प्रतिध्वनित होती शांति के लिए।