परम बीर चक्र विजेता
परम बीर चक्र विजेता
विजय का वरण
भय रहित जीवन
काल की ललकार
साहस शक्ति फौलाद।।
मनोज तुल्य वेगम
मन ओज तेज शौर्य
सूर्य पराक्रम नेमिषारण्य
पावन कि भूमि का पुण्य
प्रताप ।।
पच्चीस जून पचहत्तर
को जन्मा जीवन के
सावन वसंत चौबीस
मात्र।।
युवा अंगार दुश्मन के
करता खट्टे दांत कारगिल
दुर्गम पहाड़ियों में
शत्रु काल महाकाल
विकट विकराल
पांडेय मनोज
तुम भारत के
अभिमान।।
पल प्रहर आते जाते
युग मन्वंतर ब्रह्मा भी
सृष्टि का काल अल्प काल
समर भूमि कि माटी का
गौरव नहीं मरता
युग चेतना का नित्य
निरंतर प्रबल प्रवाह
माटी की थाती का इतिहास
वर्तमान सूरज की लाली
हर प्रभा प्रभात ।।
पांडेय मनोज सीतापुर उत्तर
प्रदेश नही तुम तो भारत
के कण कण के उजियार।।