Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Praveen Gola

Abstract

4  

Praveen Gola

Abstract

प्रकृति से प्यार

प्रकृति से प्यार

1 min
226


बारह जून का दिन रहा बड़ा ही खास

प्यारी डायरी आज प्रकृति से जुड़ किया वास 

सुबह ही एयरकंडीशन वाले को बुलाया 

और अपने एयरकंडीशन को बेच पैसा कमाया।


एक तो हर साल गैस भरवाने के झंझट से परेशान

और ऊपर से सेहत खराब होने के निशान

ना जाने हम क्यूँ अब मौसम के साथ नहीं जीते ?

बंद कमरे कर नकली साँसों के जहर पीते।


दोपहर में गर्मी के साथ दिन गुजारा

शाम को मौसम की मेहरबानी का मिला सहारा

कहीं दूर से चली ठंडी हवायें तन को सहलाने लगीं 

मौसम के हर रँग का मज़ा अब चखाने लगीं।


रात बिस्तर पर ऐसा लगा जैसे कोई बोझ उतर गया

कृत्रिम उपकरणों के परित्याग से जीवन सँवर गया

सच कहूँ तो अगर सभी करें प्रकृति से प्यार

तो आपदाओं की कभी भी ना झेलनी पड़े मार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract