प्रकृति से प्यार
प्रकृति से प्यार
बारह जून का दिन रहा बड़ा ही खास
प्यारी डायरी आज प्रकृति से जुड़ किया वास
सुबह ही एयरकंडीशन वाले को बुलाया
और अपने एयरकंडीशन को बेच पैसा कमाया।
एक तो हर साल गैस भरवाने के झंझट से परेशान
और ऊपर से सेहत खराब होने के निशान
ना जाने हम क्यूँ अब मौसम के साथ नहीं जीते ?
बंद कमरे कर नकली साँसों के जहर पीते।
दोपहर में गर्मी के साथ दिन गुजारा
शाम को मौसम की मेहरबानी का मिला सहारा
कहीं दूर से चली ठंडी हवायें तन को सहलाने लगीं
मौसम के हर रँग का मज़ा अब चखाने लगीं।
रात बिस्तर पर ऐसा लगा जैसे कोई बोझ उतर गया
कृत्रिम उपकरणों के परित्याग से जीवन सँवर गया
सच कहूँ तो अगर सभी करें प्रकृति से प्यार
तो आपदाओं की कभी भी ना झेलनी पड़े मार।