प्रकृति के रूप
प्रकृति के रूप
हौले हौले पवन रिश्ति,मन भाये चिड़ियों का क्रिंदन
किसी को लगे शोर ये,तो किसी को दे शांतिपन
हर किसी की पसंद और मन,इस जहाँ में भिन्न भिन्न
कोई कहे ये पागलपन कोई समझे इसे दीवानापन
भोर में जब आँखे खोलूँ झरनों का जल करे छल छल
सूरज की पहली किरण झलकाती सोने जैसी चम चम
मध्य रात्रि सुनायी पड़ती पहरेदारी झींगुर की झन झन
मत छीनो सुंदर प्रकृति रूप,यही होंगे जीवन के पल,कल।