प्रकृति के मौन उपदेशक
प्रकृति के मौन उपदेशक
(नदियों ) से कुछ सीख तुम ले लो, जो अनवरत बहती रहती हैं।
जलधारा की भांति रुकना मत, हिम्मत और साहस देतीं हैं।।
(पर्वतों ) से कुछ सीख तुम ले लो, जो अचल बन खड़े रहते हैं।
निडरता का संदेश देते हैं, कायरता को भगाया करते हैं।।
( वृक्षों ) से कुछ सीख तुम ले लो, जो सर्वस्व लुटाया करते हैं।
निष्काम सेवा तू भी कर ले, परोपकार सिखलाया करते हैं।।
( पुष्पों ) से कुछ सीख तुम ले लो, जो सकल सृष्टि को महकाया करते हैं।
हृदय प्रसन्न सबका तू करदे, नि:स्वार्थ भाव जगाया करते हैं।।
( धरती ) से कुछ सीख तुम ले लो, सबके कल्यार्णथ सब कुछ सहती है।
"नीरज" सहनशीलता, क्षमाशीलता को अपना ले, मौनता का पाठ पढ़ाती है।।