प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप


विकास के नाम पर कटे पेड़,
टूटते पहाड़, बंद होते नाले,
तालाब, गड्ढे भर दिए,
सफाई के नाम पर सीमेंटीकरण,
जंगल कट बने कंक्रीट जंगल,।
सभी कर रहे प्रकृति से खिलवाड़,
फैक्टरी से निकले केमिकल,
करते सब नदियों को घान,
बिन ए .सी के ना बढ़ता मान,
दे रहे सब प्रकृति को चुनौती,
प्रकृति के प्रकोप को हम,
बुला रहे है।
बीच बीच लेती रहती है,
वह भी अपना बलिदान,
पर किसी दिन वह लेगी,
पूरा बलिदान!!