प्रिय की याद
प्रिय की याद
प्रिय
की यादें
अब आती मुझको
हर पल
दीनानाथ ।।
काम
सताता है
अब हर दम
आकर सुबहो
शाम ।।
अंग
अंग टूटता
हमारा आती यादें
यही है
काम ।।
परश
मिले कब
उनका सुखमय पाएगा
मन कब
विश्राम ।।
बाहो
में प्रियतम
को भरकर चूमू
जब वो
आए ।।
विरह
मिटे उल्लास
भरे जब फिर
से उनको
पाऊं ।।