परिवर्तन जरूरी है
परिवर्तन जरूरी है
वक़्त बुरा हो तो सब तन्हा छोड़ देते हैं
कुछ अपने अपनों से रिश्ते तोड़ देते हैं
एक जैसा वक़्त सबका नहीं रहता साहिब
कुछ लम्हें मंज़िल की ज़ानिब मोड़ देते हैं
सूरज ढल कर ही तो रोज़ उगा करता है
रौशनी उन्हें मिलती जो अंधेरा ओढ़ लेते हैं
पशु-पक्षी, कीट-पतंगे दिन-रात लगे रहते
बाढ़ से टूटा घर धीरे-धीरे जोड़ देते हैं
घर बैठे-बिठाए जो कोसते हैं क़िस्मत को
आता है जब परिणाम माथा फोड़ लेते हैं
कितनी मशक्कत से ? मधुमक्खी शहद बनाती है
बहुत सिखाती हमको कैसे-कैसे? दौड़ लेते हैं
आँखों में ख़्वाब, दिल में जुनूं गर पाले "निश्छल"
करामात भी करते हैं ज़माने को पीछे छोड़ देते हैं