परिप्रेक्ष्य
परिप्रेक्ष्य
अपना परिप्रेक्ष्य साधना होगा,
लक्ष्य साध अब तीर से उसे भेदना होगा,।।
सबकी मुट्ठी में एक परिप्रेक्ष्य है,
हर किसी का एक उद्देश्य है,
कमज़ोर पड़ चुकी आंखो में कोई आस आज भी बाकी है,
परिप्रेक्ष्य की तलाश अभी बाकी है,।।
अपना परिप्रेक्ष्य साधना होगा,
लक्ष्य साध अब तीर से उसे भेदना होगा,।।
सूखी धरा पर जीवन का सृजन करना होगा,
अंकुर के विस्फोट की खातिर मेघो को धरा पर आना होगा,
इस मायूस वातावरण को एक खुशहाली से भरना होगा,
इस मौन को तोड़ने के लिए कोई राग तो छेड़ना होगा,।।
अपना परिप्रेक्ष्य साधना होगा,
लक्ष्य साध अब तीर से उसे भेदना होगा,।।
चलो फिर कोई गीत ढूंढने निकले,
अपना परिप्रेक्ष्य खोजने निकले,
क्या पता बहते पानी में उम्मीद मिले,
क्या पता पंछीयों की कूक में उम्मीद मिले,।।
अपना परिप्रेक्ष्य साधना होगा,
लक्ष्य साध अब तीर से उसे भेदना होगा,।।
आओ एक नई शुरुआत करें,
नए नए ख्वाब बुने,
कलम थाम कुछ लिखे,
आओ कागज़ पर साहस की गाथा रचे,।।