परिणय बेला
परिणय बेला
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अवसर ऐसे आनन्दमय गुंजनों के
जब किसी के घर आते हैं।
मिलते हैं दो जहाँ के फूल,
जब संजोग स्वयं जुड़ जाते हैं।
ऐसी ही मंगलमय घड़ी का,
जब पल यहाँ आया है।
धन्य हैं अतिथिगण मान्य
जिनका आशीष इन्होंने पाया है।
पूज्य हैं माता पिता जिन्होंने,
दो मोतियों को एक धागे में पिरोया है।
सहभागी है मित्रगण अभिनन्दन है
जिन्होंने सुन्दर सृजन यह संजोया है।