प्रीत का पैगाम
प्रीत का पैगाम
रिमझिम घटा बरसे ऐसे
बदली के केश झरें जैसे
बूंदें बदन पे गिरे हल्के से
नन्हे मोती खिले चमके जैसे,
रूप में अब निखार आया है
भीगी बारिश में लिपटा जैसे
ताज़गी का तोहफा आया है
प्रीत का पैगाम लाया है...
आंखों में शरारत होंठों पे हंसी
और दिलो जां को सुकूं लाया है
झरोखे पे बैठा नीला पंछी भी
तेरे लिए ए जानेमन...
प्रीत का पैगाम लाया है..
झूम के घूम के गीत गुनगुनाते
चले आओ सरस सावन बरसाते
मधुर तरंग नाचे विहंग यूं मगन
हसीन लम्हों की सौगात लाया है
प्रीत का पैगाम लाया है..
प्रीत का पैगाम लाया है।