परीक्षा
परीक्षा
कठोर परिश्रम
और फिर भी अनुत्तीर्ण।
अपने मन को निहारते हुए
आहत हुआ मन
भावनाओं के द्वार से
अंतर्मन में प्रवेश करता है।
क्या अंतर्मन से उठा लावा
सबकुछ झुलसा कर
राख कर देगा?
उद्विग्न मन
कोलाहल से घिरा हुआ
अतृप्त भावों से ऊपर उठ
जब देखेगा आसमान को
प्रफुल्लित मन देगा आवाज़
और आत्मबल को निहारेगा
स्वच्छंद हवा का झोंका तब
मन को पुल्लकित करेगा।