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Minal Aggarwal

Tragedy

4  

Minal Aggarwal

Tragedy

परिधान बदलने से

परिधान बदलने से

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234


परिधान 

बदलने से 

इंसान तो नहीं बदलता 

उसका दिल तो नहीं बदलता 

उसकी आत्मा का

स्वरूप तो नहीं बदलता 


इसी इमारत में 

रहता था वह 

इसी दुनिया में 

गुजर बसर 

करता था वह 

इन्हीं शहर की गलियों से होकर 

गुजरता था वह


इन्हीं सड़कों पर 

बिछे रास्तों से 

अपने घर को 

लौटता था वह 

वह नहीं तो 

क्या यह खाली इमारत 

यह सूना घर 


यह परेशां दिल

उसकी यादों की गूंज से नहीं 

भरा 

दिखता है वह तो मुझे 

जर्रे जर्रे में 

तस्वीरों में 

दीवारों में 

उसकी डायरी के बिखरे 


हर पन्नों में 

कोई मुझसे 

कभी यह न कहना कि 

चला गया है वह 

मुझे तो हर पल 

हर श्वास

हर मौसम 

मेरे दिल के

बेहद करीब से

छू कर गुजरता है वह।


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