प्रगति के रथ अंध गलियों में
प्रगति के रथ अंध गलियों में
प्रगति के रथ अंध गलियों में मोड़े जायें।
आईये कुछ और शिगूफे छोड़े जायें।
जान बाकी है बूढ़े कमाऊ हाथों में
ये हाथ ताकत से कसके मरोड़े जायें।
नौकरी तालीम हो अमीर की अंटी में
हाथ गरीबों के चाय औ पकौड़े जाये।
बड़े सख्त जान हैं सत्याग्रही बापू के
बार्किंग डाग्स छू छू करके छोड़े जायें।
सत्ता को खतरा हैं सपने नौजवानों के
हर आंख फोड़ के ये सपने तोड़े जायें।
बच्चे बेसबब भटके तमंचे ले लेकर
काॅलेज में जाल पूरने मकोड़े जायें।