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Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

4.5  

Dr. Akansha Rupa chachra

Inspirational

प्रेम

प्रेम

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आओ रिश्ता बोये,प्रेम की मिठास के बीज डाल कर विश्वास से रिश्तो को सीचे

यह प्रकृति का नियम है ...हर पौधे को हवा पानी

और सूरज के प्रकाश की आवश्यकता होती है।

उसी तरह...

हर रिश्ते को सच्ची भावना(दिखावटी नहीं), भागीदारी,

सच्चे समर्थन और उस अपनेपन की आवश्यकता होती है

जिसमें वो रिश्ता सदैव हरा- भरा रह सके ।

सकंल्प ले विश्वास की डोर से रिश्तो को स्नेह से संजो ले।

दोस्तो को परिवार रूपी सदस्य को माला की भाँति पिरो लो।

त्याग की नौका मे बैठो , खुशियाँ आपार मिलेगी।

निस्वार्थ बगीचे मे रिश्तो की मिठास होगी।

मनमुटाव की खतपतवार को उखाड़ फेको।

दिल की बगीया हरी -भरी मिलेगी ।

आओ प्रेम की मिठास से रिश्ता बीजे।

प्रेम की गंगा मे डुबकी लगाकर कर देखो

अमर,अटल करके ,प्रेम मे खो कर देखो

प्रेम मे देना, कुछ पाने का स्वार्थ नही करना

प्रेम मयी हो कर देखो,प्रेम राधा सा हो

पूजा बन जाता है।

मीरा -सा हो पूजा हो, भक्ति बन जाता है।

प्रेम पवित्र निश्छल हो ,आत्मा से रूह की

गहराईयो तक का सफर करके देखो

प्रेम ही प्रेम सब ओर नजर आता है।

प्रेम हो जाए, पतझड़ मे बहार

बिना पंखो के उड़ने का अहसास होता है।

प्रेम हर किसी के साथ हो जरूरी नही

प्रेम का महाकुंभ दिलो के प्रयागराज मे होता है।

बंधन धड़कनो का ,साँसो की रिधम से जोड़ कर देखो।

जिंदगी तन से नही मन से खुशहाल होती है।।


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