प्रेम #SM Boss
प्रेम #SM Boss
प्रेम जहाँ पराकाष्ठा को छू जाए,
वहाँ मौन संवाद बन जाता है।
शब्दों की कमी खलती नहीं
बस वो एहसास ही अपने आप में
सर्वोपरि बन जाता है।
प्रेम की शक्ति के आगे,
अहंकार तोड़ देता है अपनी बेड़ियां।
कितना ही मैं-मैं करता हो पहले,
प्रेम करने के बाद सब "हम" हो जाता है।
प्रेम में गिरते हैं बहुत लोग और डूब जाते है,
प्रेम में जो उठते हैं वही जीवन सही मायने में जी पाते हैं।
बिखर जाते हैं जो लोग टूटकर, वो प्रेम भरे स्पर्श से संभल जाते हैं।
प्रेम समर्पण मांगता है आत्मा का और तुम शरीर में उलझे रहते हो।
प्रेम उत्कृष्ट है स्वयं में इतना, कि इसकी एक बूँद ही काफी है,
रेगिस्तान को मरुस्थल में तबदील करने के लिए।