प्रेम की पनाह में
प्रेम की पनाह में
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पहाड़ों पर
फैल गया था
साम्राज्य / नागफनी का
नदियाँ तलाश रही थी
अपना रास्ता …
अपने सूखते हलक को
खंखारते हुए
दरक रहे थे पत्थर
आपस में …
बादलों की ओट में
छिपा सूरज
हँस रहा था
अपनी नग्न सभ्यताओं पर
जहाँ सब कुछ वैध है
सिवा प्रेम के …
रिश्ते अवैध नहीं होते
उन कुकुरमुत्तों की तरह
जो फैल जाते हैं
घाटी में
छतरी लेकर
प्रेम की पनाह में ...