प्रेम हमारा जीत रहा
प्रेम हमारा जीत रहा
प्रेम हमारा जीत रहा
अब जरा सा मुस्काना तुम ।।
मैं सेहरा बांध के आऊंगा
मम्मी की बहु बन जाना तुम ।।
तुम ख्वाब देखती थी जिसके
अब वो आया है जमाना ।।
तुम मेरी दुल्हन बन जाओ
मेरे नाम की मेहँदी लगाना ।।
लेकर बारात मैं आऊंगा
तुझे अपनी दुल्हन बनाऊंगा ।।
तेरे संग सुख के साथ साथ
हर गम भी हँस कर उठाऊंगा ।।
कभी ना तुमको रुलाऊंगा
रूठोगी तो हर बार मानूंगा ।।
अपने हाथ खाना खिलाऊंगा
पलकों पर तुझे बिठाऊंगा ।।
ना छोड़ के तुझको जाऊंगा
सारे वादे अपने निभाऊंगा ।।
तेरी आंख में जो आंसू देखूं
उससे पहले मर जाऊंगा ।।