प्रेम ग्रन्थ अर्पण का !
प्रेम ग्रन्थ अर्पण का !
जानना चाहो जो मुझे अगर
आँखों से मुझको पढ़ लेना !
हो हसरत अगर मुझे पाने की
मुझे कविताओं में गढ़ लेना !
सौंप रहा हूँ ह्रदय तुम्हें मैं
प्रेम पटल पर मढ़ देना !
जिन धड़कनों में बसती हो तुम
उन्हें स्व-ह्रदय में जड़ देना !
मेरे अर्पण की आभा से युक्त्त
एक प्रेम ग्रन्थ तुम गढ़ लेना !