प्रेम गीत
प्रेम गीत
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तुम राधिका बन जाओ
मैं श्याम रंग में रंगा रहूं
तुम बांसुरी बन जाओ
लेकर मैं अधरों पर फिरूं
अधरों पर धरते ही तुमको
मैं मोहन सा तान छेडूं
ब्रज की ग्वाल गोपियों संग
वन उपवन में रास रचूं
समय निकालो आ जाओ तुम
या मोहन सा स्वांग करूं
मिलने तुमसे आ जाऊं,क्या !
जो काल करन सो आज करूं।
होता नहीं गुजरा तुम बिन
तन मन मैं बेचैन फिरूं।