गुरु-आशीष
गुरु-आशीष
चरण रज आपके गुरुवर
मेरे माथे का चंदन है
आप हैं शांति का कानन
धरा बंजर का कृन्दन है
तिमिर अज्ञान का छाया है
जब भी मेरे मस्तक पर
जलाया दीप गुरुवर नें
मेरी बस एक दस्तक पर
हमें अज्ञान के पथ से
पार ले जाते हैं गुरुवर
कठिन संसार के भव से
तार ले जाते हैं गुरुवर
तुम्हारी शरण मे आया
कृपा कर दो मेरे गुरुवर
हमारे शीश पर अपना
ये कर रख दो मेरे गुरुवर।।