पंजा, पंजा, पंजा
पंजा, पंजा, पंजा
हर इन्सान को कहना है
औरत से ना टकराना है
जब ओ लडती है तो
हर इन्सान को पछताना है
तो उठता है, उठता है
पंजा, पंजा, पंजा !
ये जग तो हैैैै सोया हुआ,
हमे उसे जगाना है
नारीयों पर अत्याचार होता है
सबक हमे सिखाना है
तो उठता है, उठता है
पंजा, पंजा, पंजा !
दुनिया से लढ जाऊंगी,
अपनी पहचान बनाऊंगी
इस देश की बेटी होकर
जान की बाजी लगादुंगी
हमें खुद से लड़ जाना है
हर इन्सान को ए दिखलाना है
तो उठता है, उठता है
पंजा, पंजा, पंजा !