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pooja dabhi

Abstract

3  

pooja dabhi

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पल्लवी.......

पल्लवी.......

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   तेरी मेरी जोड़ी थी तो कुछ खट्टी-मिठ्ठी ईमली की तरह

          पर जैसी भी थी अच्छी थी

   यार पता नहीं पुरा दिन बीत जाता है, 

          नए वोर्ड में काम करते करतेे

  लेकिन तेरे साथ बीतता वैसा नहीं जाता दिन

   

   पता नहीं जब तूूूू साथ थी तब,

          हर रोज तेरे से दूर जाने की बात करती थी

   पर क्या पता था वह मस्ती के बोले गए बोल

          सच हो जाएगें, कि तू सच में दूर हो गई

  

  यार तेरे एक के लिए ही कयूँ एसा होता है 

         कि मेेेरी कही हर एक बात तेरे लिए सच होती है

  

   मेेरा तुझे बात-बात पर डाॅंटना और

          तेेेरा मुुुझसे बार-बार रुठना

   और थोड़ी देर बाद सब भूल जाना.... 

     हर दिन सुुबह से शाम तक यह कभी बंद नहीं होता था

         और आज सब अलग अलग

  

  इंजेक्शन वोर्ड में सब नए पार्टनर,स्टाफ सिस्टर अच्छे हैं

          पर हमारे पुराने पार्टनर नहीं है

   शायद फिर से तू हमारे वोर्ड में आजा..... पल्लु।



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