पलायन
पलायन
विपदा कैसी यह आन पड़ी है
पलायन को जनता अड़ी है
माना संकट की यह घड़ी है
पर पलायन इसका हल नहीं है
हो जहां अभी वही तुम ठहरो
थोड़ा दुख-संकट भी सह लो
परीक्षा की तुम्हारे यह घड़ी है
खुशियां तुम्हारे पीछे खड़ी हैं
सोचो थोड़ा तुम भी सोचो
अपने बढ़ते कदमों को रोको
गांव अभी न वापस लौटो
नहीं तो जीती जंग हार जाओगे
गलती पर अपनी पछताओगे
समय कम है जल्दी चेतो
इस विपदा का हल तो सोचों
चूक तुम्हारी कहीं पड़ न जाए भारी
गम में बदल न जाएं खुशियां सारी
ईश्वर का है तुमको वास्ता
पलायन का अपने बदलो रास्ता
खुशियां सबकी हैं तुम्हारे हाथ
पलायन की न करना अब बात।