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Akhtar Ali Shah

Tragedy

3  

Akhtar Ali Shah

Tragedy

पलायन

पलायन

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गीत

प्यार जानवर तक करते हैं 


प्यार जानवर तक करते हैं,

इंसानों में कहां गया है ।।


दर्द हमारा हम सह लेंगे,

पर क्यों मानवता के रक्षक। 

इक दूजे की मदद नहीं कर,

खुद ही बन बैठे हैं भक्षक ।। 

भूखी प्यासी जानें जाती।

दर्द कहाँ निलाम हुआ है ।

प्यार जानवर भी करते हैं,

इंसानों में कहां गया है ।।


ज़िद जाने की कभी न करते,

घर पर बूढ़े जनक न होते ।

बार बार गर फोन न करते,

बच्चों जैसे अगर न रोते ।। 

मात पिता के ख़ातिर मरना,

इसीलिए आसान लगा है।

प्यार जानवर भी करते हैं,

इंसानों में कहां गया है ।।


हम अपनी ही धुन में पैदल,

निकल पड़े हैं जंगल जंगल।

नहीं किसी से मिलते जुलते,

बढ़ने को मजबूर हैं अविरल।। 

हम निरोग पर नहीं सुहाते ,

हमसे किसका शीश झुका है ।

प्यार जानवर भी करते हैं।

इंसानों में कहां गया है ।।


"अनंत" सरकारें धन वालों,

को विदेश से बुला रही हैं ।

देश देश में ही जाने में ,

लाठी डंडे चला रही है।।

हम ग़रीब हैं इसीलिए तो ,

अपने हित कानून नया है। 

प्यार जानवर भी करते हैं,

इंसानों ने कहां गया है ।।



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