पिता की भावनाएं
पिता की भावनाएं
कितना हसीन था वो पल जब वो मुस्काई थी।
खुशी उस समय चारों ओर छाई थी।
पिता होने का वो सुखद अहसास था।
मेरे लिए वो पल सबसे ज्यादा खास था।
पहली बार जब उसने बोला था।
अमृत बरसा था देवों ने पिटारा खोला था।
शब्दों में बयां नहीं हो सकती वो खुशी
सबसे अच्छी लगी थी मुझको उसकी हंसी।
मेरी खुशी का न था कोई ठिकाना।
मैंने खुदा का शुक्र था माना।
उसके मुंह से पापा सुन के मन मेरा झूमा था।
लगा था ऐसा जैसे किस्मत ने माथा मेरा चूमा था।
मेरे लिए सबसे अच्छा वो पल था
जिसका मुझे इंतज़ार था वो वो कल था
सबसे सुंदर मेरे लिए वो क्षण था
सबसे ज्यादा खुश उस समय मेरा मन था।