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Neha Yadav

Abstract

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Neha Yadav

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पिता का एहसास शेष रह गया

पिता का एहसास शेष रह गया

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ब्याह हो के जब हो चले पिता जी के आंगन से विदा,

तब आपकी यादें ही साथ चली,

आप ना थे मगर एहसास आपका बहुत था,

 चाहता था कि काश आपसे लिपट के कह दूँ

ना भेजो मुझे खुद से दूर,


मगर आपका ना होना उपस्तिथि वहां,

मेरी खामोशी भरी सिसकियों में तब्दील कर दिया,

मां से लिपट ये एहसास तो कर लिया

पापा के सीने से लगी हूं,

मगर खामोशी, खामोशी ही रही।


घर अंगना बहुत याद आता है मां,

प्यार आपका दुलार आपका,

हक से कहना मेरा घर,

लड़ना हम भाई बहनों का आपस में,

मेरा घर, मेरी है मां, मेरे है पापा,

वो सब बहुत याद आता है मां,


मां आपकी गोद में सर रख के सो जाना,

मेरी छोटी छोटी गलतियों पर हर बार आपका टोकना,

आपके हाथों की थपकी बहुत याद आती है मां।


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