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Priyankar Das

Others

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Priyankar Das

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पीपल की छॉंव

पीपल की छॉंव

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जीवन पथ पर चलते जब हो थकान

तुम आना, बन के पीपल की छॉंव

तले हो जिसके हरी घास का बिछौना

कि दम भर सकूं सुकून से


ज़िंदगी के थपेड़ो से झुलस जाऊं जब

तुम बहना एक ठंडी बयार की तरह

या निझ॔रिणी सी कलकल करती हुई

शांत हो जाए तपन, पाकर तुम्हारी छुअन


जब भी मन के एक कोने में अश्रु ज्वार उमड़े

तुम देना अपने अॉंचल का टुकड़ा

जो बहुत सा प्यार हो समेटे

कि उठ खड़ा होऊं सशक्त

जीतने युद्धों को


भटकूं जब संसार में अकेले

तुम रहना साथ

दूर तक मेरे साये की तरह

अलग ना होना जब तक साया है मेरे साथ


जब तड़पू चातक की तरह

स्वाति बूंद की आस में

तुम बरसना मेरे आंगन में लेकर प्रेम

कि तृप्त होकर भी

अतृप्त रहूं तुम्हारे स्नेह को।


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