फूल खिलते हैं तो....
फूल खिलते हैं तो....
फूल खिलते हैं तो
आलम भी महक उठता है
काफिया-ग़म, हम, मौसम
रदीफ़-भी महक उठता है।
फूल खिलते हैं तो
आलम भी महक उठता है
तेरे आने से सनम
गम -ए -दिल भी चहक उठता है।
हम अगर चाहें भी तो नहीं रुकता
दिल ये मरजाना,
डूब कर आँखों के तेरे मयखाने में,
बेजुबां दिल ये सनम बहक उठता है।
कर दे नजरअंदाज
मेरे दिल की तू ये गुस्ताखी
तेरी चाहत की पूरवाई पर
ये खुद ही लहक उठता है।
माना कि मौसम है रूठने मनाने का
न आ जाए दर्मिया कोई दीवार
सोचकर ही ये मेरा
दिल दहक उठता है।।