फुर्सत के पल
फुर्सत के पल
परिवार के संग फुर्सत के
पल बिताए आज हमने,
कभी छूट जो पीछे गये थे
वो कल बिताए आज हमने।
आज हमने मां से फिर
बचपन की वो लोरी सुनी,
परिवार में सबके संग हमने
फिर से हंसी ठिठोली सुनी।
फिर से पुराना नीम का
वो पेड़ याद आया मुझे,
गांव की वो सुनी गलियां
आज जिसने रुलाया मुझे।