फिर से देश सोने की चिड़िया !
फिर से देश सोने की चिड़िया !
दोस्तो ! मुझे और कुछ नही हैं कहेना ...
बस्स ...अच्छे इन्सान बनके ही रहेना !
चारो तरफ अंधःकार गमो का, तो क्या हुआ ?
कल फिर सचमुच सुरज खुषीयो किरने हैं लानेवाला !
दोस्तो ! हमे और कुछ नही हैं करना ...सिर्फ बनाना हैं मनुज..
विशुद्ध भाव से रंग जाये हम जैसे उंची गगन मे सप्तरंगी इंद्रधनुष्य !
धरम, जाती, प्रांत, भाषा अलग हमारी हैं जरूर ...
आओ सब मिलकर भेद सारे खतम करे, तोडो सारे भरम !
दोस्तो ! हमे ना भगवान बनना हैं, ना बनना हैं, खुदा ...
इन्सान हैं हम इन्सानियत दिखानी हैं बस्स ... सदा !
चलो सब मिलकर यह वादा करे .. एक अच्छे इन्सान बने ....
विश्व्शांती का यह संदेश सारी दुनिया मेरे इन्सानियत गुंजे !
संत -महंतो तो की यह पावन धरती भारतवर्ष हमारा ...
शहीदो के वीरता का इतिहास साक्षी मानकर आगे हैं बढना !
ख्वाहिशें बस्स इतनीशी .. पर सबसे बडा दिल हैं हमारा ...
देर न लगेगी दोस्तो ! बनने फिर से देश सोने कि चिडिया !