फिर खुलेगी
फिर खुलेगी
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी,
दिवारें दिवारें भी फिर हंस उठेगी।
पडा चोक डस्टर लिए एक कोना,
उसे भी वहाँ पर आ गया था रोना,
गलत बात मनकी यहाँ सब मिटेगी,
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी।
विनय या विवेकी करें पाठ पूरा,
जीवन का कोई पाठ रहे ना अधूरा,
पडी आदतें हो बुरी तो छूटेगी ,
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी।
कहीं पाठ्यपुस्तक के पन्ने ना खुले,
कहीं ऑनलाइन कहीं मार्ग भूले,
सभी साथ मिलकर खुशियाँ बंटेगी,
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी।
ये नींदों की परियाँ समंदर ये नदियाँ
इतिहास की भी मिटेगी थी बदियाँ,
नये रंग उमंगो से रातें ढलेगी,
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी।
उजाला करेंगे ये विज्ञान पढकर,
दिखाएँगे सबको कभी चाँद चढकर,
सभी शक्यताएँ धरा पर मिलेगी,
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी।
ये भूगोल भाषा दिलाती है आशा,
जो अगणित प्रश्नों को दे देगी झांसा,
मिलेगी जो खुशियाँ कभी ना मिटेगी,
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी।
खडे होंगे बच्चे नये प्रश्न लेकर,
वहीं मिलते होंगे शिक्षक के उत्तर,
ये निर्दोष आंखोमें विस्मय भरेगी,
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी।
सभी पाठशालाएँ कल फिर खुलेगी,
दिवारें दिवारें भी फिर हंस उठेगी।