फैसला ज़िन्दगी का
फैसला ज़िन्दगी का
सुन मेरी बात शादी करने को चला है तू,
कोई जंग नहीं ये है एक सफर सुहाना।
रख नहीं मन में कोई डर या तनाव,
मिलना उसको आराम से देना मौका
खुद को फिर लेना कोई फैसला।
पहली बार मिल के सबकुछ मालूम न चलेगा
लेकिन कोशिश यही करना कि जान सको उसको
और बता सको अपने सपनों के बारे में।
कोई इंसान जान पड़ता है अपने इरादों से
और अपने फैसलों से, देखना वो कहीं
छोटी दौड़ को तो नहीं बना।
करता हो जो घरवालों का सम्मान और
जिसको हो न घमंड थोड़ा।
कैसे वो सम्हालेगा खुद को
जब समय न होगा अनुकूल
यही होगी असली परीक्षा उसकी।
खाली सड़क पे तो हर कोई गाड़ी चला लेता है
पर क्या वो तुम्हें भीड़ भाड़ से भी निकाल के ले जाएगा।
प्यार होता है कभी कम कभी ज्यादा
पर क्या वो हमेशा तुम्हारा ही बनके रहेगा।
है सवाल ये ज़िन्दगी का,
लेना जो भी फैसला वो हो तुम्हारा।
सुन मेरी बात शादी करने को चला है तू,
कोई जंग नहीं ये है एक सफर सुहाना।