फागुन और मिलन
फागुन और मिलन
फागुन के आते ही
बढ़ जाती मिलने की आस।
वातावरण रंगीन होता
खुशहाली चहुँ ओर छा जाती।
प्रकृति की विभिन्न छटाएँ
रंग बिखेरती जग सुंदर कर जाती।
नया जीवन नव संचार पाकर
अँखियाँ सौंदर्य मिलन प्यास बुझाती ।
सर्दी जाती गर्मी आती
सुंदर मौसम से मिलन करवाती।
फाल्गुन और वसंत साथ आते
धरती दुल्हन सी सज -धज जाती ।
पीली सरसों ,पीली चुनर ओढे
दुल्हन सजी धरती, मिलन आस जगाती ।
रंगों से मदमाती होली मन मादक करती
अपनों से मिलने की आस नव ऊर्जा भरती ।
महाशिवरात्रि व होली का उत्सव आता
पूजा व रंगों का सरूर धर्म संस्कृति से मिलाता।
फागुन के आते ही मन मचल जाता
पिया मिलन की आस गौरी का मन तड़फाता।