पछतावा
पछतावा
1 min
151
जीवन की ये कैसी विडम्बना है,
वक्त गंवा कर पछताना है।
जब अपने थे समय निकाल न सके,
साथ बैठ न सके बतिया न सके।
अब समय है अपने नहीं ,
बातें करने को अपने नहीं ।
समय तो बह गया,
पछतावा रह गया।
जब अपने याद आते हैं ,
रोते पछताते हैं।।