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Neha Yadav

Drama

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Neha Yadav

Drama

पैसे से बड़ा वक़्त

पैसे से बड़ा वक़्त

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कहने को जब शब्द ना रह जाए,

सुनने को जब वक्त ना रह जाए,

भीड़ में खोए हो मानो,

पैरों को सुकून ना रह जाए,


थके थके घर लौटने पर,

केवल बिस्तर ही भाए,

क्या परिवार क्या बच्चे,

जब कोई रिश्ता ना समझ आए,


सुकून जज्बा बस कमाने का हो जाए,

तो पैसा ही अहम हो जाए,

इस बेबसी से उबर जाने पर,

लोग ओतप्रोत होने लगते हैं,


बड़े ही अभिमान से हर बड़ों से रिश्ता जोड़ते हैं,

वक्त कई तबादले भी रखता है,

कई फैसलों से गुजरने के लिए,

हम ही बेगाने हो जाने पैसे के गुरूर में,

हमसे बड़ा कौन है हमसे उपर कौन है ?


यही कहते समझते उम्र गुजर जाती है,

मगर फिर वक्त अपना बड़प्पन दिखा जाता है।


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