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Sonam Kewat

Drama Tragedy

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Sonam Kewat

Drama Tragedy

पाँचवीं फेल

पाँचवीं फेल

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उम्र मेरी तब कुछ सोलह के करीब थी,

तब हालातों में मैं ज्यादा ही गरीब था।


मेरा और पढ़ाई का ना कभी मेल हुआ,

और इसलिए था मैं पाँचवीं फेल हुआ।


गाँव में गुजर बसर बहुत मुश्किल थी,

मेरा वहाँ रहना अब नामुमकिन था।


दबे पाँव एक रात मैं वहाँ से निकल गया,

आधी रात की ट्रेन से मैं मुंबई पहुँच गया।


नौकरी ढूँढ़ा हर जगह चाहे दादर परेल हुआ,

ठुकराया सबने क्योंकि मैं पाँचवीं फेल हुआ।


आग थी सीने में और कुछ करने की धड़क थी,

कुछ कपड़े थे पहनने को और खुली सड़क थी।


छत नहीं थी तो मैं सड़कों पर सोया था,

सिसकी न सुनी किसी ने, मैं बहुत ही रोया था।


छोटे से व्यापार से पटरी पर मेरा रेल हुआ,

क्या फर्क पड़ता है अगर मैं पाँचवीं फेल हुआ।


आमदनी अच्छी लगी तो माँ मेरी राजी हुई,

फिर एक शहर की सुंदरी से मेरी शादी हुई।


वक्त गुजरते बच्चों का पहचान भी मैंने पाया,

जेब खाली होते हुए भी उन्हें काबिल बनाया।


बच्चे थे दिया, बाती और मैं उनका तेल हुआ,

गृहस्थी बनाई उसने जो था पाँचवीं फेल हुआ।


वृद्धावस्था में आते आते बीवी ने संग छोड़ दिया,

लगता था जैसे कि जिंदगी ने मुख मोड़ लिया।


बाजुओं में दम कहाँ आखिरी पल को गिनता हूँ,

बच्चों को वक्त कहाँ मुश्किल से उनसे मिलता हूँ।


लगता है जैसे कि जिंदगी कोई जूए का खेल हुआ,

नाम कमाया मैंने जबकि मैं था पाँचवीं फेल हुआ।


आज लाकर बच्चों ने मुझे वृद्धाआश्रम दिखलाया,

चाहा नहीं था कभी जो जिंदगी में वो मोड़ आया।


शायद शर्म आती थी उन्हें मेरे ही साथ रहने में,

वो मॉर्डन थे और शर्माते थे मुझे बाप कहने में।


आप कहाँ और हम कहाँ, हमारा कहाँ मेल है,

आखिरकार आप तो पाँचवीं ही फेल हैं।।


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