ऑड- ईवन अभियान.
ऑड- ईवन अभियान.
जब प्रदूषण ने कमजोर किया जन समर्थन,
प्रशासन ने खड़ा किया कार्यक्रम ऑड- ईवन।
नहीं थकते, रट लगायें बैठे सरकारी नेतागण,
प्रदूषण नियंत्रण पर हैं ये एकमात्र उपाय रामबाण।
विपक्षी नेता बोले जारी रहेगा बढ़ना प्रदूषण,
जब फंस गया पेच ऑड- ईवन।
राजधानी में कम नहीं होगा प्रदूषण,
उजागर होने लगा नेताओं का कमीनापन।
आरोप –प्रत्यारोपों की बहने लगी गंगा-जमुना,
नेताओं को मिल गया राजनीति करने का बहाना।
जनहित के काम नहीं करने का फर्जी बहाना,
हमें तो सिर्फ भड़काना हैं जनभावना।
बस छोड़ना हैं हमें शब्दों के सिर्फ बाण,
ताकी बढ़ता रहे ऐसा ही पार्टी का समर्थन।
अगले चुनाव के लिए बने वह वोटों की खान,
चाहे दाव पर लगे नेताओं की आन-बान-शान।
भटकाना हैं सिर्फ राजनीति करके जनता का ध्यान,
चोटी के नेताओं की यही हैं असली देश में पहचान।
क्योंकि इनके जमीर से निकल चुके हैं प्राण,
खो चुके हैं देशभक्ति, दूर दृष्टि, ईमान व ज्ञान।
नेताओं में दिखता अकेला तर्कहीन बड़-बोलापन,
और दिशाहीन, विज्ञानहिन, तर्कहीन जन –आंदोलन।
ऐसे मामले में उच्च न्यायालय भी रहता हैं मौन,
क्योंकि उनके लिए पर्यावरण की समस्या हैं गौन।
खो गई हैं आम जनता ऑड- ईवन में,
अपनी सुख, शांति, चैन और सुकून।
बस हमें तो छेड़ना हैं एक जन-आंदोलन ,
चाहे घटे या बढ़े सुबे में जानलेवा वायु प्रदूषण।
ऑड- ईवन भी बन सकता कमाऊ अभियान,
हो सकता भ्रष्टाचार के लिए एक नई खान।
प्रदूषण से भले ही आम जनता हो हलकान,
बंद न हो कभी भ्रष्टाचारी ऑड- ईवन अभियान।