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Kanchan Prabha

Tragedy

4.5  

Kanchan Prabha

Tragedy

न्याय की आस

न्याय की आस

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हमारे देश का ये एक अभिशाप है 

प्रत्यक्षदर्शी भी अन्धे बन जाते

तब ऐसा लगता है मेरे देश का

ये कैसा इन्साफ है 

न्याय न्याय वो करते जाते

जिनके छत पर ना छत है ना आस है

न्याय फिर मिल जाता उनको

सत्ता,पैसा और महल जिनके पास है 

प्रशासन भी साथ उन्ही का देती

जिनसे उनकी पैसों की बुझती प्यास है 

न्याय कहाँ मिला यहाँ उसे

जिन्हे रोटी कपड़े की हमेशा तलाश है 

देख देख कर ये दुर्गति

होता है मुझे दुख अपार

भ्रष्टाचार कम नही हुआ अगर

एक दिन भारत का विनाश है

पर कुछ तो अच्छा हुआ देश मे

अब दिख रहा कुछ साल मे

मोदी जी गर रहे सलामत

ये उनका बेहतर प्रयास है.



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