नया साल
नया साल
आओ मिलकर खुशियां बांटें
नये साल का जश्न मनायें
हे ! वर्ष दो हजार इक्कीस
दिल में सदा रहेगी तेरी टीस
तूने हमको कितने जख्म दिए
हम उसका हिसाब न लगा पायेंगे
तू कितने नये अनुभव सिखा गया
मास्क, सैनेटाइजर, आइसोलेशन
कितनी अनदेखी चीजें दिखा गया
कितनों की खुशियां समेट ले गया
प्रकृति की स्वच्छ छटा भेंट दे गया
धन दौलत भी काम नहीं आये
यह सत्य जगत को बता गया ।
अपने अपनों से ही बिछड़ गये हैं
न जाने कितने कब और कहां गये
पर नित्य धरा पर दिनकर है आता
प्राची पर नई उमंगें नव आस लिए
नवजीवन और नव विश्वास लिए
होकर ही रहता यहां ,जो है होना
पर निराश हो कभी धैर्य न खोना।