नन्ही-नन्ही बूंदें !
नन्ही-नन्ही बूंदें !
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जिस तरह चिलचिलाती
दोपहरी में बारिश की कुछ
नन्ही-नन्ही बूंदें भी
उस चिलचिलाती दोपहर
को भी बना देती है
खुशगवार मौसम
ठीक उसी तरह प्रेमी
को भी प्रेमिका अपने
साथ से कर देती है
खुशगवार और फिर
वही भींगी-भींगी सी
दोपहरी लौटा लाती है
वह उष्मा जो उन दोनों
का प्रेम कई बार खो देता है
अपनी नादानियों से !