नियति
नियति
नियति ने क्या क्या दिन दिखलाये हैं यारो
कभी आंसुओं में डूबे कभी मुस्कुराये हैं यारो
जिंदगी में आते हैं न जाने कितने अंधे मोड़
हर मोड़ ने बहुत से सबक सिखाये हैं यारो
जमाने ने बिछाये हैं हजारों शूल राहों में मेरी
पलकों से चुनकर कांटे, रास्ते बनाये हैं यारो
मुकद्दर पे किसी का जोर कहां चलता है "हरि"
हालांकि दो दो हाथ हमने भी आजमाये हैं यारो
दिल का सौदा कर तो लें पर रुसवाई से डरते हैं
बेवफाई के जख्म दिल ने बहुत उठाये हैं यारो।