नई नई खुशियां सजाओ
नई नई खुशियां सजाओ
सोच समझकर कदम उठाओ
नए दौर में
नई उमंग से
नई नई खुशियां सजाओ
भूल जाओ सब शिकवे गिले
फिर से गले लग जाओ
नया दौंर तो आता जाता रहेगा
खुद में कुछ नया कर जाओ
जो हटके भूले भटके
उनके तारे खुद कर जाओ
बचपन बचाओ
एक पौधा लगाओ
नारी का सम्मान करो
दुनिया बदले या ना बदले
परवाह नहीं,
खुद तुम बदलो
दुनिया बदल जाएगी
उसे जब तेरी याद आएगी
मैं अज्ञानी,
है भरा मुझ में अज्ञान
ज्ञानियों से हूं डरता
ज्ञानियों से हूं डरता
उलझन उनका काम
मेरे अल्लाह मेरे राम
मिलता नहीं आराम
सोचो कुछ नया करने की
बात लाश में सांस भरने की
जैसे करती है सृजन
मां एक बच्चें का
कुछ तुम भी सृजन करो
इंसान हो मतलब भगवान हो
पहचान अपनी कर जाओं
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा
खुद के भीतर ही पा जाओ
मातृ पितृ भक्ती से बड़ी ना कोई शक्ती,
चरणों में इनकी सिर झुका जाओ
सोच समझकर कदम उठाओं
नए दौर में नई उमंग से
नई नई खुशियां सजाओ...।