निगाहें मिलाने के दिन आ रहे हैं
निगाहें मिलाने के दिन आ रहे हैं
अँधेरे मिटाने के दिन आ रहे हैं।
दिये अब जलाने के दिन आ रहे हैं।
लिखो खूबसूरत गज़ल नज्म कोई
कि महफिल सजाने के दिन आ रहे हैं।
न जाएँ छुड़ाकर सनम आप बाहें
निगाहें मिलाने के दिन आ रहे हैं।
खता जो हुई है उसे भूल जाओ
मुहब्बत लुटाने के दिन आ रहे हैं।
ज़माना न जाने सभी राज दिल के
कि बातें बनाने के दिन आ रहे हैं।
जरा पुष्प खुद को सम्हालो अभी तुम
दिलों में समाने के दिल आ रहे हैं।
पुष्प लता शर्मा