नि:शब्द - प्रहरी
नि:शब्द - प्रहरी
हर एक सैनिक जो देश का पहरेदार है
उसकी ख़ामोशी ही काफ़ी असरदार हैं
वो नि:शब्द भी अपने कर्मों से
पूरे देश की आवाज़ है
रेगिस्तान की झुलसती ग़र्मी हो या
हो खून जमा देने वाली
बर्फ़ीली चोटियाँ
चाहे हो बाढ़ या हो कोई आपदा
सबसे पहले ख़ुद को और अपने घरवालों
को भूल कर
देश को अपना बनाने वाला
अपनी हर कतरा -कतरा
लोगों कि लिए *समर्पित* करता
वो देश का सपूत
देश की आन बान और शान है..
उसकी हर ज़ुबान उसका समर्पण है
अपने जूनूँ से ..
देशवसियों के दिलों को झँझोरता
और मर मिटने की गर्जना करता
सब कुछ न्योछावर करता
वो सिर्फ़ अपनी माँ का लाड़ला ही नहीं
देश का लाड़ला है
वो नि:शब्द ही ..
पुरी दुनिया में चिंगारी जगाने वाला.
देश के लिये मर मिटने की *सीख* देता
हमारी ओर आती हर गोलियों को अपने
सीने पे झेलने वाला
कर्मों की जुबां सिखाने वाला
नि:शबद -जाँबाज़ वो पहरेदार है।