नगमों के मरहम...!
नगमों के मरहम...!
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दिल चिर के दिखाएंगे
मुलाक़ात होंगी तो बताएँगे
मुस्कराते हुये चेहरे से
मुस्कान चुराएँगे
इस नूर से अमावस की
काली-रात में दीया जलाएंगे
जितना भुलाओगे बाबू
उतना हम याद आएँगे
बस तुम हौसला रखना मेरी जान,
इस जान से जान को मिलाएंगे
तुम मुस्कराती रहना,
हम यूँ ही कोई मजेदार ग़ज़ल सुनाएंगे
तुम्हारा दर्द कम हो जायेगा,
मुझे यक़ीन हैं,
क्योंकि हम नगमों के मरहम लगाएंगे
दिल चीर के दिखाएंगे
मुलाक़ात होगी तो बताएँगे !